काल सर्प योग कुंडली मे राहु केतु निर्मित योग है इसे दोष कहना उचित नहीं होगा. क्योंकि आज के संदर्भ में फलों की व्याख्या देश काल परिस्थिति के अनुसार बदली है।उधारण के लिए पुराने समय मे विदेश जाना कष्टकारी माना जाता था लेकिन आज लोग अजीविका के लिए विदेश जाते है और समृद्धि भी पाते है राहु को ज्योतिष और mythology मे सर्प माना गया है राहु इस सर्प का सिर है और केतु उसकी पूँछ मानी जाती है ये केवल symbolicप्रतीकात्मक व्याख्या है पुराने समय मे प्रतीकात्मक भाषा का इस्तेमाल अधिक किया जाता था सचमुच कोई नाग या सांप नहीं लेकिन सांप के जहर जितना जहरीला, पर जब अच्छा होगा तो औषधी का काम करेगा . इसका वैज्ञानिक आधार है राहु केतु छाया ग्रह माने गए है और ग्रहण का कारण बनते है इन छाया बिंदुओं का विशेष भाव पर प्रभाव होने से जीवन से संबंधित उस भाव के फल मे प्रभाव पड़ता है विभिन्न भावो मे राहु केतु की स्तिथि से विभिन्न प्रकार के अच्छे बुरे काल सर्प नामक योग बनते है और उन से कष्ट या फिर फायदे उत्पन्न हो सकते है. खराब फल वाला काल सर्प योग होने से होने से विशेष कर विद्यार्थियों को पढ़ाई मे रुकावट उत्पन्न होती है, पीड़ित व्यक्ति आर्थिक व शारीरिक रूप से परेशान होता है, व्यक्ति को संतान संबंधी कष्ट भी हो सकता है प्राय उसकी रोजी-रोटी का जुगाड़ भी बड़ी मुश्किल से हो पाता है धनी घर में पैदा होने के बावजूद किसी न किसी वजह से उसे अप्रत्याशित रूप से आर्थिक क्षति होती रहती है वैवाहिक जीवन मे भी समस्याएं आती हैं . तरह तरह के रोग भी उसे परेशान करते रहते हैं. पर कई बार काल सर्प योग अच्छा प्रभाव भी पैदा करता है जैसे राजनीति मे ये योग सहयोग करता है राजनीति मे जातक को अपने विरोधियों से सामना करना पड़ता है उस मे ये योग उत्तम सहायता करता है और विरोधियों का नाश करता है . ये व्यक्ति को साहस के कार्यों मे भी सहायता करता है जैसे सेना पुलिस मे लड़ाई फ्रंट पर जाने का साहस प्रदान करना, काल सर्प योग कुंडली मे राहु केतु के मध्य समस्त ग्रहों के अवस्थित होने से बनता है पर वो राहु केतु की स्तिथि और बीच के ग्रहों की स्तिथि पर निर्भर करता है इस का प्रभाव राहु केतु के मध्य ग्रहों की स्थितियों से कम ज़्यादा होता है विशेष कर राहु सूर्य और केतु चंद्रमा के बीच की दूरी, राहु केतु की 12 भावों मे स्तिथि से इसे विभिन्न प्राचीन नामों योगो से जाना जाता है इन नामों से डरने की अवश्यकता नहीं है काल सर्प योग तब ही ज्यादा प्रभाव करता है . जब राहु की दशा , अन्तर्दशा, प्रत्यन्तर्दशा आती है और गोचरवशात राहु अशुभ चलता हो और गोचर मे काल सर्प योग की सृष्टि होती हो.
मुख्य रूप से इन 12 कालसर्प योगों के नाम राहु की अंकित भाव मे स्तिथि और प्रभाव निम्न हैं
1) अनन्त कालसर्प योग - राहु लगन मे, इसमे चिड़चिड़ा स्वभाव हो जाता है. जातक मानसिक रूप से परेशान हो जाता है जातक को जल्दी गुस्सा आता है. साफ सफाई पसंद नहीं रहता. विवाहित जीवन पर बुरा प्रभाव पड़ता है. सामंजस्य की कमी रहती है.
-- शुभ फल मे इस के फल कई बार जातक को लाभ भी देते हैं जैसे मे जातक अत्यधिक ऊर्जा वाला हर काम मे आगे आने वाला बनता है. कहीं आग लगी हो दुर्घटना हो तो सबसे पहले सहायेता को पहुंचता है अपने सम्मान की रक्षा के के लिए कुछ भी करने को आतुर होता है. और उसका व्यक्तित्व प्रभावशाली बनता है
2) कुलिक कालसर्प योग - राहु द्वितीय स्थान मे, दुर्घटना होने की संभावना रहती है और ऑपरेशन भी करवा देता है. पारिवारिक संबंधों पर बुरा प्रभाव पड़ता है. बोलने पर भी कोई control नहीं रहता . आँखों का कष्ट उत्पन्न होता है. --- इसके अच्छे प्रभाव मे जातक जरूरत से ज्यादा धन इकट्ठा करने लगता है. परिवार का decision लेने वाला होता है सब परिवार सदस्यों को अपने अंडर रखता है डॉक्टर की पढ़ाई करता है शत्रु गतिविधि मे कमि हो जाति है
3) वासुकी कालसर्प योग - राहु तृतीय स्थान मे, दोस्तों पड़ोसियों भाई बहन से नहीं निभ पाती. कार्य के लिए इच्छा मे कमी रहती है . जल्दबाजी रहती है. गले की बीमारी लगी रहती है
--- शुभ प्रभाव मे जातक राजनीतज्ञ बनता है कई बड़े राजनेताओं सेना अधिकारियों को ये योग होता है अपने भाषणों से जनता का वशीकरण कर लेता है स्कूल मे भाषण प्रतियोगिता मे हमेशा आगे रहता है यात्राएं करने मे रुचि रहती है
4) शंखपाल कालसर्प योग - राहु चतुर्थ स्थान मे, सुविधाओं में कमी आती है. दुखी रहता है. कारोबार और नौकरी में परेशानी रहती है. माता सुख में कमी. अधिक गुस्सा. डिप्रेशन रहता है. हार्ट की प्रॉब्लम हो जाती है.
---शुभ प्रभाव मे संपत्ति इकट्ठा करने का शौकीन होता है साईंस सब्जेक्ट मे पढ़ाई करता है खास कर डॉक्टर, केमिकल engineering करता है घर से बाहर अजीविका प्राप्त करता है
5) पद्म कालसर्प योग - राहु पंचम स्थान मे, इससे कैरियर प्रभावित होता है एक्जाम मे फेल हो जाता है और शिक्षा प्रभावित होती है | संतान होने में देरी होती है संतान कष्ट. लॉटरी सट्टा मे मन लगता है और हानि होती है. प्रेम संबंधो का विकृत रूप देखने को मिलता है .
--- शुभ प्रभाव मे बड़े बड़े सट्टा शेयर मार्केट मे बादशाह बन जाते है रातोंरात करोड़पति बनते है धन की कमी नहीं रहती मगर नुक्सान भी बड़ा होता है मंत्रों की सिद्धि कर लेता है. तांत्रिक माँन्त्रिक बनता है, famous प्रेमी बनते है. Energetic होते है. अलग अलग तरह के कलाकार बनते है
6) महापद्म कालसर्प योग - राहु छटे स्थान मे, अधिक दुश्मन बनते है. कर्जों मे रहता है शारीरिक कमजोरी रहती है . परीक्षा कई बार देनी पड़ती है. जातक अधिकतर हास्पिटल के चक्कर काटने मे रहता है. अधिकारियों से नहीं बनती.
--- अच्छे प्रभाव मे शत्रु को विजय करते है कोर्ट कचहरी मे काम करते है वकील बनते है पुलिस अधिकारी भी बनते है शत्रु सामने आने से बचते है. रोज्गर के अव्सर बनते हैं, निरक्त साधु बनते है
7) तक्षक कालसर्प योग - राहु सप्तम स्थान मे, विवाहिक जीवन पर बुरा असर पड़ता है. विवाह में देरी होती है . सिरदर्द ,उच्च रक्तचाप , गुस्सा. पार्टनर से झगड़ा और धोखा होता है Partnership बिज़नस व्यापार मे कोर्ट केस. गुप्त रोगी.
-- अच्छे प्रभाव मे जीवन को इंजॉय करते है materialistic होते है अपने चारों तरफ का माहोल अपने अनुसार एडजस्ट करते है इंटरनेट का इस्तेमाल और एंजॉयमेंट मे बहुत प्रयोग करते है
8) कर्कोटक कालसर्प योग - राहु अष्टम मे, बीमारी होता है , बचत नहीं करता . ससुराल से प्रॉब्लम पैतृक़ सम्पति मिलने में रुकावट. प्रेत बाधा. बवासीर रोगी, पानी से खतरा . -- शुभ प्रभाव से साइंटिस्ट बनते है ocult गुप्त विद्या का अभ्यास करते है योगी बनते है कॉलेज मे लीडर होते है. तन्त्र मंत्र सिद्ध करते हैं विख्यात जासूस बनता है ससुराल मे धाक चलती है.रिसर्च मे पुरस्कार मिलता है
9) शंखचूड़ कालसर्प योग - राहु नोवे स्थान मे, पिता माता दादा खानदान से न बनना, जुआ सट्टे की नुक्सान . धर्म को न मानना धर्म परिवर्तन करना . पिंडलियों टाँगों मे बीमारी दर्द. झूठे साधु बनाता है.
-- शुभ प्रभाव मे लॉटरी सट्टा से फायदा मिलता है. अपने धर्म के संरक्षक होते है, मंदिरों का निर्माण करते है. धर्म से अजीविका पाते है, तर्क पूर्ण बात करते है अपना धर्म संप्रदाय चलाते है धार्मिक यात्राएं बहुत होती है
10) पातक कालसर्प योग - राहु दशम स्थान मे, नौकरी बार बार छूटना. अच्छी नौकरी की कमी. नौकरी मे झगड़ा, अजीविका से मानसिक अशांति. करोड़पति से भिखारि. घुटनों पीठ मे दर्द. घबराहट, ब्लड प्रेशर.
-- शुभ योग मे अधिकारी मैनेजर राजनीतिज्ञ बनते है अपने स्टाफ को कंट्रोल मे रखते है चतुर हो कर बिज़नस करते है अपना माल जैसे भी हो जबर्दस्ती बेचते है प्रचार का पूरा सहारा लेते है
11) विषधर कालसर्प योग -राहु गयारवे मे , इच्छा का पूरा न होना, पैसा फसने की समस्या. व्यापार का धन डूब जाना, फिजूल यात्रा. भाई दोस्त पड़ोसी का दुश्मन बन जाना
--- इसमे शुभ योग ज्यादा है, अधिकारी राजनीतिज्ञ के लिए ठीक है अपना काम करवा कर ही छोड़ना बिज़नस का कैपिटल बढ़ाना. अधिकारियों को अपने वश मे रखना. कुशल कारीगर बनना, अजीविका के लिए विदेश जाना होता है.
12) शेषनाग कालसर्प योग - राहु बारहवे स्थान पर, व्यसन नशे मे पड़ना, भारी कर्जा , शारीरिक कष्ट, घर बार छोड़ देना, दुश्मन से नुक्सान,अनचाही चीजें पर खरच, पैर मे कष्ट होना -----अच्छे प्रभावों मे साधु योगी बनना मोक्श पाना हजारो भक्त बनाना. धर्मार्थ दान करना. विदेश मे बसना. रंक से राजा बनना,
काल सर्प योग या दोष को पहचान कर जिस भाव मे बन रहा है जिन भावो मे राहु है याऔर जिन भावों पर उसकी दृष्टि है उन भावों से संबंधित भावेश ग्रहों को बलवान करने और काल सर्प योग के अन्य प्रचलित निवारण उपाए करने से इस से उत्पन कष्ट कम किया जा सकता है या इस के शुभ प्रभावों मे इजाफा किया जा सकता जैसे नाग गायत्री का पाठ, नव नाग स्त्रोत्र का रोज उच्चारण, भगवान शिव की पूजा, वासुकि नाग देव (नाग राज) की पूजा विशेष कर पंचमी वाले दिन या नाग पंचमी को, महा मृत्युंजय पाठ, रत्नों मे गोमेद लहसुनिआ की जन्म पत्री मे योग के अनुसार मात्रा धारण करना और स्पेशल शेप मे इन रत्नों को बनाना . नाग की शेप मे त्रिधातु की अंगूठी मध्यमा उंगली मे धारण करना नाग यंत्र की पूजा करना इत्यादि
ज्योतिर्विद् अभय पाण्डेय
वाराणसी
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